चिंता
✳चिंता संबधी आदतों को छोड़ने की विधि :-
होनी के साथ सहयोग करिये !
जब कोई घटना घट चुकी है तो उसके बाद उस पर चिंता करना तो मानो सांप निकल जाने के बाद उसकी लकीर को पिटने के समान है, क्योंकि जो समय या घटना हो चुकी है ! वह वापिस कदापि नहीं आयेंगा तो होनी को स्वीकार करना ही मन की शान्ति को कायम रखने की बुहत अच्छी विधि है और इसी में कल्याण भी है !
❇️ चिंता संबंधी आदतों को छोड़ने की छटी विद्धी :
बीती बातों को लेकर चिंतित न रहिये !
बीती बात को भूलने के लिए उससे शिक्षा लेते हुये अपने वर्तमान को बुहत सुन्दर और सफल बनाईये और परमात्मा में पूर्ण विशवास रखिये !
गीता के शब्द सदा याद रखिये कि जो हुआ वह अच्छा और जो चल रहा है वह भी अच्छे-ते-अच्छा और जो होने वाला है वह बुहत अच्छा ही होगा !
परिस्तिथियों को स्वीकार कर वर्तमान में जीना सीखें
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