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मधु मक्खी का जीवन

एक मधुमक्खी दिन भर घूमती है एक पल आराम से नहीं बैठती और शहद इकठ्ठा करती है। उसकी सभी सहेलियाँ भी ऐसा ही करती हैं।परंतु एक दिन कोई मनुष्य आकर उसका छत्ता तोड़ देता है और सारा शहद बाहर निकाल देता है। तब मधुमक्खियों के पास सिवाय पछताने के और कुछ नहीं होता।
बस अब इस सच्चाई में मधुमक्खी की जगह आदमी को रख दो और शहद की जगह पैसा। हम भी कुछ ऐसा ही करते हैं। हम भी अपना जीवन मात्र पैसा कमाने में लगा देते है और उसे जोड़ते रहते है , पता नहीं कब के लिए। और एक दिन जब हम बूढ़े हो जाते हैं तो हमारे पास सिर्फ पछताने के कुछ नहीं होता।
अब भी वक्त है ,कामना नहीं जीना सीख लो।
हर पल जिओ , जीवन एक बार मिला है।

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