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परिस्थिति


जब कोई बड़ी परिस्थिति आती है तो सभी लोग मिलकर सेवा करते हैं।
कोई तन (शरीर) से सेवा करता है, कोई धन से सेवा करता है, और कोई मन से सेवा करता है। अर्थात दुआओं से सेवा करता है। दुआएं असंभव को संभव कर देती हैं।  हमें  सभी की दुआओं से भी सेवा करनी है।
हमें अपने घर को मंदिर बनाने के लिए मंदिर जैसे वाइब्रेशन फैलाने हैं।
भोजन को प्रसाद बनाकर स्वयं और सभी को खिलाना है। भोजन बनाते समय किचन में परमात्मा की याद के गाने सुनते सुनते प्रसाद बनाना है।
उस प्रसाद को खाने के समय पर मोबाइल या टीवी देखकर नहीं खाना है।
परमात्मा का शुक्रिया करके व परमात्मा को याद करके उस प्रसाद को खाने से परमात्मा की शक्तियां खाने में भरेंगी, जिससे हम शक्तिशाली बन जाएंगे।

सुबह सुबह उठते ही परमात्मा को याद करेंगे।
जैसे ही हमारी नींद खुली, आंख नहीं खुली तो हमारा पहला संकल्प परमात्मा का शुक्रिया करना है। सुबह-सुबह परमात्मा का शुक्रिया होना चाहिए। अपने मन को सिखाना है।
जैसे हम अपने बच्चों को सिखाते हैं कि सुबह-सुबह बच्चों को बड़ों का आशीर्वाद लेना है, नमस्कार करना हैं।
वैसे ही हम सभी को सुबह-सुबह परमात्मा का आशीर्वाद लेना है।
पहला परमात्मा का शुक्रिया करना है।
दूसरा अपने मन और शरीर का शुक्रिया करना है।
तीसरा सभी लोगों का शुक्रिया करना है।
चौथा प्रकृति का शुक्रिया करना है।

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