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मातृ दिवस

दिन गुजरता है प्यारा देखु सुबह मुखड़ा जो माँ का
और आज के दिन की ना पूछो , आज तो माँ मुझे सुबह ही दुलार कर रही थी

भय दूर हो जाता है कोसो और कठिनाई दम तोड़ देती है
अपने आशीर्वाद से माँ मेरा आत्मविश्वास तैयार कर रही थी

जीवन छोटा पड़ जाता हैं माँ की पूजा करने को
मेरी तो पूजा करने की इच्छा बार बार कर रही थी

कल बड़ा ही प्यारा सपना आया
सपने में माँ मुझे प्यार कर रही थी

देर से जो पंहुचा मैं घर
जमाना सो गया था पर माँ इन्तजार कर रही थी

माँ ने ही दिया माँ पर ही न्योछावर ये जीवन
रूह मेरी माँ की आज्ञा का इन्तजार कर रही थी
-अनिरुद्ध

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