मौन की शक्ति
बड़े-बड़े विचारक बड़े-बड़े लेखक, बड़े-बड़े अविष्कारक ने मौन की शक्ति से बड़ी सफलताएं हासिल की हैं
जीवन के महत्वपूर्ण रहस्य, महत्वपूर्ण चीजें मौन से मिलती है। भगवान की पूरी प्रकृति मौन में होकर चल रही है।
मौन परमात्मा की भाषा है । भगवान से बात तभी हो सकती है जब हम मौन मे रहना सीखेंगे।
श्री भगवान ने गीता में मन के मौन को तप बताया है।पहले मुख के किवाड़ बंद कर करने होंगे फिर धीरे-धीरे मन का मौन भी आ जाएगा।
जब हम अकेले होते हैं और शांत होते हैं तब हमारे जीवन के सबसे शानदार क्षण होते हैं क्योंकि उस समय हम भगवान से जुड़े होते हैं।
गुरुभगवान ने एक उदाहरण देकर समझाया मान लीजिए हम सब्जी बना रहे हैं और कोई बड़ा व्यक्ति हमारे पास खड़ा है तो हम सब्जी बनाने से पहले उसकी तरफ देखते हैं और कहते हैं -ठीक है ना !!!! ऐसे ही हर कर्म को करने से पहले भगवान की ओर देखें और उनसे पूछे ठीक है ना !!! साइलेंट होंगे अंदर से खुद भगवान जवाब देंगे
जब हमारे अंदर पावर ऑफ साइलेंस होती है तो हम लोगों की बात को अच्छे से सुनते हैं उनकी जरूरतों को समझते हैं और उनके लिए कुछ कर पाते हैं।
जब हमें बहुत कुछ आता है तो कुछ कहने को नहीं होता और जब हमें कुछ नहीं आता तो बहुत कुछ कहने को होता है ।
जब हम चुप रहना सीख जाएंगे तो हर सवाल का जवाब हमें अंदर से मिलने लगेगा
सफलता तभी शोर मचाएगी
जब मेहनत खामोशी से की जाएगी
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