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कर्मो का हिसाब किताब

एक स्त्री थी जिसे 20 साल तक संतान नहीं हुई। कर्म संजोग से 20 वर्ष के बाद वो गर्भवती हुई और उसे पुत्र संतान की प्राप्ति हुई किन्तु दुर्भाग्यवश 20 दिन में वो संतान मृत्यु को प्राप्त हो गयी। वो स्त्री बहुत रोई और उस मृत बच्चे का शव लेकर एक सिद्ध महात्मा के पास गई।

महात्मा से रोकर कहने लगी मुझे मेरा बच्चा बस एक बार जीवित करके दीजिये, मात्र एक बार मैं उसके मुख से "माँ" शब्द सुनना चाहती हूँ।

स्त्री के बहुत जिद करने पर महात्मा ने 2 मिनट के लिए उस बच्चे की आत्मा को बुलाया। तब उस स्त्री ने उस आत्मा से कहा तुम मुझे क्यों छोड़कर चले गए ? मैं तुमसे सिर्फ एक बार "माँ"' शब्द सुनना चाहती हूँ।

उस आत्मा ने कहा कौन माँ ? कैसी माँ ! मैं तो तुमसे कर्मों का हिसाब-किताब चुकतु करने आया था।

स्त्री ने पूछा कैसा हिसाब !

आत्मा ने बताया पिछले जन्म में तुम मेरी सौतन थी, मेरे आँखों के सामने मेरे पति को ले गई; मैं बहुत रोई तुमसे अपना पति माँगा पर तुमने एक न सुनी। तब मैं रो रही थी और आज तुम रो रही हो ! तब मेरा पति गया था, आज तुमने अपनी सन्तान खोई है। बस मेरा तुम्हारे साथ जो कर्मों का हिसाब था वो मैंने पूरा किया और मर गया। इतना कहकर आत्मा चली गयी।

उस स्त्री को एक गहरा झटका लगा।

उसे महात्मा ने समझाया," देखो मैने कहा था न, कि ये सब रिश्तेदार, माँ, पिता, भाई, बहन सब कर्मों के कारण जुड़े हुए हैं। हम सब कर्मो का हिसाब चुकतु करने आये हैं। यही हमारे रिश्तों की नियति है, इसलिए बस अच्छे कर्म करो ताकि हमे अपने संबोन्धो से केवल सुख ही प्राप्त हो।

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