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भगवान से बाते तो करके देखो

आप, आरती ,पूजा,पाठ,भजन, कीर्तन, तो रोज करते ही हो ,लेकिन एक दिन भगवान से बिना कुछ मांगे बिना स्वार्थ के 15 मिनट अकेले में घर की छत,पर या कंही भी एकांत जगह पर बैठ कर अपने दिल की हर बात बोलो, कोई भी सम्बन्ध से।

जैसे,,बाप,माँ,टीचर,दोस्त, प्रेमी,कोई भी एक सम्बन्ध बनाकर बड़े प्यार से बात करो ।
और अपने मन को  व्यर्थ संकल्पो को बहुत ही कम कर दो । ऐसे अपना सच्चा साथी  समझ कर बाते करो।
  थोड़े ही समय में आपको ,शांति, प्रेम,आंनद,सुख की शक्ति की अनुभूति होने लगेगी,
जैसे अगर आपको 10 मिनट राष्टपति जी के साथ बात करने को मिल जाये तब आपको कैसा अनुभव होगा ? आपमें कुछ समय के लिए एक नयी ऊर्जा का संचार होने लगेगा।

ठीक उसी प्रकार आप सिर्फ  भगवन को ये मत  कहो की,,,
मै तो पापी हु
मै नीच, कपटी हूँ
मै तो तेरे चरनो की धूल हूँ।

नहीं

ये सब बातों से भगवान खुश नहीं होते बल्कि आप बोलो," भगवान जी आप अभी जंहा रहते हो, मैं भी आपके साथ रहती हूँ।
एक दिन था जब मैं भी आपके ही पास रहता था  आपका घर परमधाम है तो मेरा भी घर वो ही है।
आप परमात्मा हो ,तो मै भी अपने इस शरीर में एक ज्योति के सामान प्रकाश ,सितारे के समान  आत्मा विराजमान हु।
तो आप और मैं तो एक जैसे ही तो हुए न।
आप सर्वो गुणों के सागर हो।
तो मैं भी सतोगुणी आत्मा हूँ।

बस ऐसे ही मीठी मीठी बाटे करते जाओ और अपने को थोड़े ही समय में  अनुभव करके देखो  आपको कैसा फील होता है  सिर्फ एक दिन नहीं हर दिन करके देखो  बहुत मजा आयेगा।

यकीन मानो, परमात्मा की मदद मिलेगी।

इस प्रकार ध्यान का अभ्यास करने से परिस्तिथियों को स्वीकार करने की ताकत मिलेगी।

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