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आज का पुरुषार्थ

परमात्मा कहते हैं ... बच्चे, अब अपनी ऐसी स्थिति बना लो कि सभी तरह के प्रश्नों से पार चले जाओ...।
प्रभु की श्रीमत प्रमाण चलते रहो...।

बस, आप समय के प्रश्नों से अर्थात कब होगा...? कितने समय में हम मंज़िल पर पहुँच जायेंगे...?
नहीं...।
आप सब प्रभु (परमात्मा शिव) के प्यार में खो जाओ ... बिंदु बन जाओ...।
जब ‘कब होगा’ खत्म हो जायेगा ना ... तो ‘अब' आ जायेगा...।

इसलिए शान्तिपूर्वक प्यार में खोये रहो अर्थात गृहस्थ व्यवहार सम्भालते भी सबसे न्यारे रह प्यार और रौशनी में समा जाओ...।

देखो बच्चे, परमात्मा स्वयं आप बच्चों को सम्भालने के लिए आया है तो आप भी प्रभु पर इतना ही निश्चय रखो...।

आपका तो स्वयं भगवान है, जिसे सारी दुनिया पुकार रही है...।
वह अपने बच्चों का पूरा ज़िम्मेवार है, आपके स्थूल और सूक्ष्म सभी खज़ाने भरपूर रखेगा...।

बस आप बच्चे उस एक की श्रीमत प्रमाण हर बात में अपना कल्याण समझ बिल्कुल निश्चिन्त अर्थात हल्के और निर्भय रह, प्यार और रौशनी का अभ्यास करते रहो...। ज्यादा सोचो मत...।
अब तो परीक्षा भी समाप्त होने वाली है।

प्यार और रौशनी का अभ्यास अर्थात अब आपको महसूस होना चाहिए कि आप रौशनी के शरीर में प्रकाश बिंदु हो और आपसे प्रेम का प्रकाश फैलता चला जा रहा है ... जो की सभी आत्माओं के साथ-साथ प्रकृति के पाँचों तत्वों को भी पहुँच रहा है...।
अब आँखों को जब भी खोलो, तो सब कुछ रोशन ही देखो, वो भी बहुत प्रेम के साथ...।

बस, धैर्यतापूर्वक बचे हुए थोडी सी परीक्षा जो की कृत्रिम शेर के रूप में आयेंगे, उस पर 100% निश्चय रख, पूरा उत्तीर्ण हो जाओ...।
फिर देखो उसकी कमाल।

उसको पिता माना है न, तो अपने आज्ञाकारी, वफादार, फरमानबरदार बच्चों के लिए क्या नहीं कर सकता...!

इतना निश्चय रख अपने पिता शिव परमात्मा पर भरोसा रख, आगे बढ़ो...।

अच्छा।
ओम् शान्ति।

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