कर्मो की खेती
मनुष्य जीवन एक खेत है, जिसमें कर्म बोए जाते हैं और उन्हीं के अच्छे-बुरे फल काटे जाते हैं । जो अच्छे कर्म करता है, वह अच्छे फल पाता है, बुरे कर्म करने वाला बुराई समेटता है । कहावत है- "आम बोएगा वह आम खाएगा, बबूल बोएगा वह काँटे पाएगा । बबूल बोकर जिस तरह आम प्राप्त करना प्रकृति का सत्य नहीं, उसी प्रकार "बुराई के बीज बोकर भलाई पा लेने की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।
इतिहास साक्षी है, कार्य कभी कारण रहित नहीं होते और कोई भी परिणाम कभी अपने आप नहीं बनते वरन् वह व्यक्ति के कर्मों की कलम से लिखे जाते हैं । अच्छा या बुरा भाग्य अपने ही कर्म का फल होता है ।
जीवन हर क्षण का लेखा-जोखा रखता है ।
उसी तरह धोखे की सफलताएँ अंततः "पतन" और "अपयश" का ही कारण बनती हैं । अंत तक साथ देने वाली सफलता "भलाई" की है ।
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