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शरीर

सुख - दुःख ,  मान  अपमान
डर , पीड़ा , जन्म मृत्यु ,  आकांक्षाएँ , इच्छाएँ ,  लालसाएँ ,  क्रोध ,  मोह , लालच ,  अहम  आदी  सब  कुछ  शरीर  से  जुड़ी  हैं ।

जब  तक  मनुष्य  स्वयं  को  शरीर  समझता  है  तब  तक  वो  इन  सब  का  अनुभव  करता  रहता  है ।

किंतु  जब  मनुष्य आत्मा  के  रूप  को जान  और  पहचान  लेता  है  तब  वो  इन  सब  भावनाओं  से  ऊपर  उठ  जाता  है ।

तब  ना  उसको  सुख  का  अनुभव  होता  है  और  ना  दुःख  का , ना  मान , ना  अपमान ,  ना  दर्द ,  ना पीड़ा  , ना कोई  डर  ।  वो  इन  चक्र  से  बाहर  आ  जाता  है ।
उसकी  सब  आकांक्षाएँ ,  इच्छाएँ  और  लालसाएँ  भी  समाप्त  हो  जाती  हैं ।

उस  समय  वो  केवल  असीम  आनंद  का  अनुभव  करता  है ।

ओम शांति

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