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एलईडी रोशनी मध्यक

आजकल हमें हर चीज लिखी हुई अच्छी लगती है।
हर कोई वह सूचना जो हमें लिखित रूप में दिखाई दे या संकेत जो लिखित रूप में हो हमें बहुत अच्छा लगता हैऔरलिखितरूपमेंअपनेसंदेशको  दिखाने के लिए एलसीडी सबसे सरलतम माध्यम है।  लेकिनएलसीडी में रोशनी करने के लिए उपयोग होने वाली एलईडीसदैव चालू रहती है।  जोकिऊर्जाकोनष्टकरनेकेसिवायऔरकोईकार्यनहींकरती।  कितना अच्छा हो कि जब हमें जरूरत हो तब रोशनी बढ़ जाए और जब हमें जरूरत नहीं है तो रोशनी धीमी हो जाए
 आज का यह  परिपथ  इसी कार्य को सुनिश्चित करता है
ऊपर एक एलसीडीकेसभीबिंदुओंको  दर्शाया गया है।  इसमेंजैसाहमदेखपारहेहैं16 बिंदुहोतेहैंशुरूआती14 बिंदुएलसीडी के होते हैंऔरबादके2 बिंदुएलईडी के लिए होते हैं।  इनदोबिंदुओंपरहम  प्रतिरोधक के माध्यम से शक्ति स्रोत को जोड़ते हैंबिंदु संख्या 15 पर प्रतिरोधक जोड़ते हैं और बिंदु संख्या 16 को ग्राउंड से जोड़ते हैं
अब यदि हमें एलईडीकीरोशनीकोकमज्यादाकरनाहैतोइनदोनोंबिंदुओंपरहीकेंद्रकरनाहो
 जैसा कि हम जानते हैं की  दिन के  समय  इतनी रोशनी मौजूद होती है कि हम एलसीडी पर रही सूचनाओं को पढ़ सकेंतो इसका मतलब हमें दिन में एलईडीकीरोशनीनहींचाहिए  और रात को हमें एलईडी की रोशनी चाहिए होगी.
 तो क्यों ना ऐसा एक परिपथ बनाया जाए जो वातावरण की रोशनी के अनुसार एलईडीकीरोशनीकोनियंत्रितकरे

ऊपर दर्शाया हुआ  परिपथ यही कार्य करता हैयह 555 नियामक को उपयोग में  लेता है।  इसपरिपथमेंहम555 नियामकसे 4.8 KHz आवर्ती के वर्गाकारसंकेतबाहरनिकालतेहैं, जोट्रांजिस्टरकेबेसमेंप्रतिरोधकद्वारादियाजाताहै
555 नियामक  की पांचवी संख्या की पिन  को  हम प्रयोग में लेंगे इस पर हम एक प्रतिरोधक तथा एक प्रकाश नियंत्रित प्रतिरोधक की सहायता से विभव वितरक बनाएंगे जिसका मान वातावरण की रोशनी के अनुसार बदलेगाऔर जब इसका मान बदलेगा तो 555 नियामक द्वारा उत्पन्न संकेत  का समय काल भी बदलेगा जिससे एलईडी हल्की या तेज होगी और इस तरह से हमें हर समय अपने अनुसार एलसीडी के सन्देश सही दिखाई देंगे ।

प्रयोग करते समय प्रयोगशाला ने अंकित मान ही लिया था। परन्तु इतने कम मान का प्रकाश नियंत्रित प्रतिरोधक मिलना बड़ा मुश्कित है, तो आप VR1 के स्थान पर 500K का प्रकाश नियंत्रित प्रतिरोधक और R5 के स्थान पर 500K का प्रतिरोधक का प्रयोग कर सकते हैं।
प्रकाश नियंत्रित प्रतिरोधक का उपरी भाग आसमान की तरफ ही रखें और ध्यान रहे की यह खुला हो. कोई भी वास्तु इसके ऊपर ना हो।

 उपयुक्त  परिपथ से जुड़ी कोई भी समस्या कृपया टिप्पणी में डालें


लेखक :- अनिरुद्ध कुमार शर्मा
---अनि-प्रयोगशाला---

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