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पैसे की व्यस्तता

अभी समय के हाथ मजबूर हो कर
पैसे के नशे में चूर हो कर
जी रहें है ज़िन्दगी
अपने माँ बाप से दूर हो कर
बच्चों के पास बाबा दादी नही
सीख की कहानी नही प्यार की गोदी नही
बैठे भी हैं बच्चे अकेले
खिलोने भरपूर हो कर
खुद बच्चों को समय दिया नही
दो बात प्यार से किया नही
दिया प्यार के बदले पैसा
ममता का नूर खो कर
किस सास बहु में लड़ाई नहीं होती
पता है कभी देवरानी से जेठानी की बड़ाई नही होती
पर अपनी इस लड़ाई के चलते
कर दिया बच्चों को अलग
उनके उजड़े भविष्य को मंजूर हो कर
-अनिरुद्ध शर्मा

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