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ख़ुशी की दौड़

आज कल हम में से ज्यादातर व्यक्ति अपने जीवन में संतुष्ट नहीं रहते और उसका एक बड़ा कारण है की हम अपनी नोकरी से खुश नहीं होते। किसी के मन का काम नहीं होता तो किसी को काम में फुरसत नहीं मिलती, कोई अपने मालिक की सुनता रहता हैं और किसी के वेतन में कोई वृद्धि नहीं होती। और इन्ही कारणों से हम कुछ ही समय बाद दूसरी नोकरी तलाशना शुरू कर देते हैं यह सोच कर की वह नोकरी हम आराम से करेंगे। आपको पता ही है की अच्छा कल कभी नहीं आता, तो इसी तरह हमें वो अच्छी नोकरी भी कभी नहीं मिलती। आखिर हमें अच्छी नोकरी क्यों नही मिलती?
क्या कभी आपने इसका जवाब ढूंढने की कोशिश की है?
अगर नहीं तो नीचे जवाब शायद आपको मिल जाये।
नई नोकरी करते समय हमने सिर्फ जगह बदली है पर खुद को नही, हमें खुद को बदलना होगा तभी हम अपनी चलती नोकरी में भी आराम से रह पाएंगे।
एक बात को अगर हम सोचें की हम जितनी मेहनत एक नई नोकरी ढूंढने में लगाते हैं उतनी या उससे कम मेहनत हम अपनी चल रही नोकरी को ठीक करने में लगाएं तो हमारी अब चल रही नोकरी ही हमें अच्छी लगने लगेगी।
और कोशिश करें की अपने मन की पसंद का काम करें इससे आपको काम करने में रूचि आएगी और नोकरी छोड़ने का भी मन नहीं करेगा।

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