जिनर तथा अव्लांचे विभाजन
कई बार हम भ्रमित हो जाते हैं की क्या ये जिनर और अव्लांचे विभाजन एक
ही है. मगर वास्तव में ये दोनों अलग अलग प्रकार से होने वाले विभाजन हैं.
दोनों विभाजनों में समानता:-
दोनों प्रकार के विभाजन-
एक अर्धचालक में होते हैं और वो भी मुख्यतः एक डायोड मे.
में रिक्तिकरण परत नष्ट हो जाती है
बड़े ही उपयोगी हैं
अब आता है समय दोनों विभाजन में अंतर जानने का
यह तो आपको पता होगा की दोनों विभाजन तब होते हैं जब हम विपरीत
ध्रुवता किसी अर्धचालक को देते हैं.
जिनर विभाजन -
जब हम किसी अर्धचालक को विपरीत ध्रुवता में विभव प्रदान करते हैं मसलन
N परत पर घनात्मक और P परत पर ऋणात्मक विभव तो इलेक्ट्रॉन्स व छिद्र एक दुसरे से
मिल कर एक रिक्तिकरण परत बनाते हैं यदि इस प्रदान किये गए विभव का मान और बढ़ा दिया
जाये तो रिक्तिकरण परत की चोड़ाई और बढ़ जायेगी और यदि यही सिलसिला चलता रहा तो एक विभव
बिंदु ऐसा आएगा की यह रिक्तिकरण परत चोडी हो कर पूरे अर्धचालक को एक कर देगी और
धनात्मक तथा ऋणात्मक बिंदु के बीच में सिर्फ और सिर्फ रिक्तिकरण परत रहेगी .
इस तरह के विभाजन को जिनर विभाजन कहते हैं
अव्लांचे विभाजन –इस तरह के विभाजन में जब विपरीत ध्रुवता का विभव
किसी अर्धचालक को प्रदान किया जाता है तो उस अर्धचालक में उपस्थित इलेक्ट्रॉन्स
तथा छिद्रों का वेग विपरीत दिशा में इतना बढ़ जाता हैं की रिक्तिकरण परत नष्ट हो
जाती है.
5.1V तथा उससे कम विभव के जिनर, जिनर विभाजन प्रणाली पर आधारित होते
हैं और उससे अधिक अव्लांचे विभाजन प्रणाली पर.
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