बच्चे की प्रार्थना
एक बच्चा प्रतिदिन अपने दादा जी को सायंकालीन पूजा करते देखता था। बच्चा भी उनकी इस पूजा को देखकर अंदर से स्वयं इस अनुष्ठान को पूर्ण करने की ईच्छा रखता था, परन्तु दादा जी की उपस्थिति उसे अवसर नहीं देती थी।
एक दिन दादा जी को शाम को आने में विलम्ब हुआ, इस अवसर का लाभ लेते हुए बच्चे ने समय पर पूजा प्रारम्भ कर दी।
जब दादा जी आये, तो वे दीवार के पीछे से बच्चे की पूजा देखने लगे।
बच्चा बहुत सारी अगरबत्ती एवं अन्य सभी सामग्री का अनुष्ठान में यथाविधि प्रयोग करता है और फिर अपनी प्रार्थना में कहता है
भगवान जी प्रणाम।
आप मेरे दादा जी को स्वस्थ रखना और दादी के घुटनों के दर्द को ठीक कर देना क्योंकि दादा-दादी को कुछ हो गया, तो मुझे चॉकलेट कौन देगा।
भगवान जी मेरे सभी दोस्तों को अच्छा रखना, वरना मेरे साथ कौन खेलेगा।
फिर कहता है-
मेरे पापा और मम्मी को ठीक रखना, घर के कुत्ते को भी ठीक रखना, क्योंकि उसे कुछ हो गया, तो घर को चोरों से कौन बचाएगा।
लेकिन भगवान जी, यदि आप बुरा न मानो तो एक बात कहूँ, सबका ध्यान रखना, लेकिन उससे पहले आप अपना ध्यान रखना, क्योंकि आपको कुछ हो गया, तो हम सबका क्या होगा।
इस सहज प्रार्थना को सुनकर दादा की आँखों में ख़ुशी के आंसू आ गए, क्योंकि ऐसी प्रार्थना उन्होंने न कभी की थी और न सुनी थी।
सार :-
बच्चों में जैसे संस्कार देना चाहो यह सब घर के बड़ों के हाथ में है।
बच्चे मन के सच्चे
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