बेटियों के लिए
यह पोस्ट उन तमाम लड़कियों के लिए है जिनको ये शिकायत है कि हमको ससुराल में बेटी नही समझा जाता।
पहले ये जानना जरूरी है कि बेटी थी तब क्या रोल था आपका घर में..आप आराम से उठती थी देर तक सोती रहती थी।
खाना चाय नाश्ता सब मम्मी बना देती थी बाकी काम मेड करती थी कभी कभार आप घर के काम मे हाथ बंटाती थी।
अब बताएं कि आप की मम्मी भी यदि यही सोचती की मैं भी ससुराल में बेटी की तरह रहूंगी तो क्या आपको ये आराम मिलता शायद नहीं,शादी से पहले मां बाप की जिम्मेदारी है इसलिए वो आपकी गलतियों को नज़र अंदाज़ करते है।
शादी के बाद आपके ऊपर भी आपकी माँ की तरह जिम्मेदारी आती है तो आपको भी वो करना होगा जो माँ घर मे करती थी।
हम लोग अपनी शादी से पहले की ज़िंदगी खूब ऐश के साथ काटकर आते है। अब जब हम पर जिम्मेदारी आयी तो घबराना क्यों,क्यों शिकायत करना ।
अब मुझे बताएं यदि आप पीहर आएं आपकी भाभी देर तक सोती रहे। मम्मी रसोई में काम करें तो क्या आप उस भाभी की तारीफ करेंगी ?? कभी नहीं.. आप मां से कहेंगी की आप क्यो रसोई में खटती है भाभी को करने दिया करो। कौन लड़की ऐसी है जो भाभी से ये कहे कि भाभी आप खूब आराम करो मम्मी सब कर लेगी??
अब एक बात जो वो कहती है कि हम सिर्फ सास ससुर पति और अपने बच्चों का करेंगे दूसरों का नही...
मतलब देवर ननद जेठ ...अब इसका मुझे जवाब दें कि आपके भाई की शादी पहले हो गयी और भाभी आ गयी वो सब का खाना बनाए और आपका नही तो क्या आप या आपके मां बाप को अच्छा लगेगा.... ,बिल्कुल नहीं...इसलिए यदि जो आप चाह रही है वो आपकी भाभी आपके साथ करे तो बुरा नही लगना चाहिए।
आपको अपनी ननद उनके बच्चों का आना अगर बुरा लगता है तो आप भी सोच लीजिये आप की भाभी भी आपके आने से खुश नही होगी।
कभी सोचा है आपने अपनी मां को घर मे पीहर की तरह महसूस करवाया है??यदि नही तो आप कैसे उम्मीद करती है कि आपको महसूस हो।
क्या माँ ने कभी ये शिकायत की कि मुझे जल्दी उठना पड़ता था,काम करना पड़ता था,शायद कभी नहीं वो तो सर दर्द होने पर भी आप लोगो के लिए खाना बनाती थी।......हर जगह का अपना महत्व है ।इसलिए दोनों को महत्व दीजिये।
जो लड़कियां समझती है, उन्हें एडजस्ट करना आता है और वो तारीफ के काबिल हैं
सर्वे भवंतु सुखी नाम
सर्वे संतु निर्मयाम
सर्वे भद्राणि पश्यंतु
मां कस्च दुख भाग भव्य
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