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मियां-बीवी में तकरार

वैसे तो कोई भी लड़ाई बिल्कुल भी अच्छी नहीं होती। जब किसी से बकझक हो जाए, तो तनाव होता है, मन अशांत  हो जाता है और गुस्सा तो बहुत ही ज्यादा आता है।
उस पर अगर यह तकरार मियां-बीवी के बीच हो, जो एक घर, एक कमरे में रहते हैं, तो फिर दिमाग कहता है, ‘इससे बुरा हो भी क्या सकता है?’
बहरहाल हर लड़ाई बुरी भी नहीं होती। कुछ नोकझोंक अच्छी भी होती हैं, जो नजदीकियां बढ़ाती हैं।

पति-पत्नी में बातचीत या किसी मुद्दे पर बहस क्यों जरूरी है। क्या जोड़ों का एक दूसरे से अलग सोचना बुरा है?

पारिवारिक सलाहकार पीयूष कहती हैं कि दो अलग व्यक्ति की पसंद कितनी भी मिलती हो, लेकिन ये समझना जरूरी हैं कि दो अलग अलग दिमाग किसी भी तरह से एक जैसा नहीं सोच सकता। सामने वाले कि सोच को समझना और उसे स्वीकार करते हुए आगे बढ़ना सबसे ज्यादा जरूरी है।साथ रहते हुए लड़ाइयां और बहस होना आम बात है, लेकिन वह बहस ऐसी हो, जिससे साथी आपकी बात समझ सके। अपने शब्दों से उसके मन में कोई ऐसी बात न बैठा ले, जिससे रिश्ता बिगड़ने लगे।

प्रश्न :- जिनसे आप करते हैं प्यार, उनसे क्यों होती है लड़ाई?

जब हम किसी से बहुत गहरे रिश्ते में जुड़े होते हैं, तो हमारा मन जानता और समझता है कि चाहे कुछ भी हो जाए, सामने वाला इंसान हमसे दूर नहीं जाएगा। यही वजह है कि हम अपने तर्क, इच्छाएं, आशा और परेशानियां उस शख्स के आगे खुलकर रख देते हैं। जिन बातों से साथी इतेफाक नहीं रखता, उस पर कई बार बहस हो जाती है।

प्रश्न :- साथी के संग बहसबाजी अच्छी है, क्या ये बात सच है?

पीयूष बताती हैं कि साथियों के बीच किसी मुद्दे को लेकर अगर दो अलग पहलुओं पर बात होती है, तो वह अच्छा होता है।
‘एबल आर्गुअर्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक किसी भी जोड़े के बीच हुए सकारात्मक चर्चा से रिश्ते बेहतर होते हैं।

एक दूसरे की बातें सुनकर आप साथी केतनाव को कम कर सकते हैं। रिश्ते में मिठास बनाए रखने के लिए 'खट्टी-मीठी' बातें जारी रहें, तो एक दूसरे के प्रति प्यार और विश्वास बढ़ेगा।

प्रश्न :- क्या घटती हैं शिकायतें

जब आप रिश्ते में एक दूसरे से बातें करते हैं, तो शिकायतों का बोझ लगातार गिरता जाता है। मन में एक दूसरे के खिलाफ कोई गुब्बार नहीं रहता, ना ही रिश्ते में घुटन महसूस होती है।

प्रश्न :- क्या कम होता है तनाव

दुनिया के ज्यादातर लोग इसलिए परेशान होते है, क्योंकि कोई उन्हें सुनने वाला नहीं होता। जब आअपने साथी से बातें करते हैं या नाराजगी जताते हैं, इन सबके बीच कहीं न कहीं आप अपना मन हल्का कर रहे होते हैं। जिससे तनाव में कमी आती है।

प्रश्न :- क्या अच्छा रहता है मन

किसी भी रिश्ते में मन की बात और शिकायतें बाहर आ जाने से मन हल्का हो जाता है। जिसकी वजह से रिश्तों में शिकायत नहीं बचती। इसका फायदा यह होता है कि रिश्ते में हमेशा एक अच्छी शुरुआत होने की गुंजाइश बनी रहती है।

प्रश्न :- कैसे बढ़ता है सोचने-समझने का दायरा

साथी जब एक दूसरे के साथ से किसी मुद्दे पर बहस करते हैं, तो इससे उनके बीच रिश्ता बढ़ने के साथ-साथ एक ही मुद्दे पर कई तरह के पहलुओं को जानते समझते हैं। इससे कहीं न कहीं दोनों के सोचने-समझने का दायरा भी बढ़ता है।

आखिर हम ऐसा क्या करें जिससे मियां बीवी में आपस में तकरार ना हो तो एक कहावत है एक चुप सौ सुख अंतर्मुखी सदा सुखी जब तक युक्ति युक्त बोल और कम से कम शब्दों का प्रयोग करना नहीं आएगा और राय तक सीमित होना नहीं आएगा तब तक तो यह तकरार जारी रहेगी और ठीक है जीवन चलने का नाम चलते रहो सुबह शाम

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