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मायके की दखलंदाजी !

एक बार एक लड़की अपनी माँ के साथ पुलिस थाने  मे  अपने पति एवं ससुराल वालो के खिलाफ शिकायत करने जाती है !
वहां की लेडीज आफिसर लड़की से पुछती  है ...
क्या तुम्हारा पति  मारता हैं ?

नहीं

क्या वो तुमसे अपने माँ  बाप  से कुछ मांग के लाने को कहता है ?

नहीं

क्या वो तुम्हे खाने  पहनने  को  नहीं देता ?

ऐसा भी नहीं है।

क्या  तुम्हारे ससुराल वाले कुछ भला बुरा कहते है ?

हाँ

क्या वो तुम्हारा ख्याल नहीं रखता ?

हाँ

इस पर लड़की की माँ बोली की मेरी बेटी बहुत परेशान है !
वो इसे घर की छोटी-छोटी बातों पर टोकाटाकी करते हैं
मोबाइल पर बात करने पर भी आपत्ति करते हैं।
वो इसे टोर्चर करते है !

अफसर समझ गयी !
उसने लड़की की माँ से पुछा - क्या आप बेटी से रोज फोन पर बात करती हैं?

माँ ने कहा- हाँ, मैं अपनी बेटी का पराये घर में ध्यान तो रखूगी, इतने नाजो से पाला है उसे।।।

पुलिस अफसर ने पूछा...
  बहन जी क्या  आप घर में दही ज़माती  हो ?
लड़की की माँ नें कहा- हाँ !

अफसर : तो जब आप दही ज़माती हो तो बार बार दही को ऊंगली मार कर जांचती हो ?

लड़की की माँ : जी, अगर बार बार ऊंगली मार के जांचूगीं तो दही  कहां जमेगा ?
वो तो खराब हो जाएगा !

अफसर : तो बहिन जी इस बात को समझिये, शादी से पहले लड़की दूध थी और अब उस को ज़म कर दही बनना है !
आप बार बार ऊंगली मारेंगी तो वह  सासुराल में बसेगी कैसे ? वहाँ के रहन - सहन को सीखेगी कैसे? आपकी लड़की ससुराल में परेशांन नहीं है ! आप की दखलंदाज़ी ही उसके घर की परेशानी का कारण है !
उसे उसके ससुराल में ऐडजस्ट होने की शिक्षा दिजिये !
उसको वहाँ के हिसाब से रचने - बसने दीजिये !

माँ ने कहा," यहाँ बेठ कर यह लेक्चर देना मुझे भी आता है। क्या आप उनके खिलाफ रिपोर्ट लिख सकते हैं।

ऑफिसर :- क्या आप डाइवोर्स चाहती हैं?

नहीं

ऑफिसर :- क्या आप अपनी बेटी को खुश देखना चाहती हैं?

हाँ

ऑफिसर :- तो आप अपनी बेटी को युक्ति युक्त और कम से कम शब्दों का प्रयोग, इसकी ट्रेनिंग दीजिये।

तो क्या मैं उसको दबाव में जीना सिखाऊं?

ऑफिसर :- नहीं, परिस्तिथियों को समझना और दिल पर बात न लेना, जब तक यह करना नहीं आता तब तक वह सुखी नहीं रह सकती।

तो, इसके लिए मैं क्या करूँ।

ऑफिसर :- इसको किसी धार्मिक संस्था के साथ जोड़िये। यह सुखी हो जायेगी।

माँ मन ही सोचने लगी कि बात तो ठीक लग रही है कि परिस्तिथियों से लड़ने की बजाये, परिस्तिथियों को स्वीकार करने की ताकत लानी होगी।

 
हर माँ को यह बात समझनी चाहिए

इस समझ की आज समाज में बहुत ज़रूरत है !

आगे जो हरी इच्छा

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