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तीन प्राकृतिक नियम


 जैसा कि आप जानते हैं कि हर किसी का अपना एक नियम होता हैं. ऐसे ही प्रकृति के भी अपने कई नियम हैं. आज में उनके कुछ नियमों के बारे में चर्चा करूँगा जो कि मैं स्वयं महसूस करता हूँ. 

पहला नियम जो मैंने महसूस किया है वो हैं कि कभी हमारे दोनों हाथ में लड्डू नहीं होता. मतलब हम दो वस्तुओं को एक साथ नहीं ले सकते जैसे कि हम यदि चाहे कि मैं मोज मस्ती भी करूँ और मुझे सफलता भी मिल जाए. मैं काम भी ना करूँ और काम भी हो जाये. मैं जीवन में चुनोतियों का सामना भी करूँ और मुझे कुछ नुक्सान भी ना हो.

ऐसा नहीं हो सकता. यदि आप मेहनत करेंगे तभी आपको सफलता मिलेगी, मोज मस्ती कर के बिना महनत करे आपको सफलता नहीं मिल सकती. यदि आप जीवन मे चुनोतिओं का सामना करते हैं तो आपको उसकी कीमत भी चुकानी पड़ेगी.

ये बात मैं समझ चुका हूँ कि मेरे दोनों हाथ में कभी लड्डू नहीं हो सकते , मुझे दोनों मे से एक को ही चुनना पड़ेगा. 

दूसरा नियम जो मैंने देखा हैं वो हैं आकर्षण का नियम. जैसे पृथ्वी हमें अपनी और आकर्षित करती हैं वैसे ही हम भी अपने विचारों के अनुसार वस्तुओ, घटनाओं , व्यक्तिओं को अपने ओर आकर्षित करते हैं. मुझे आप उस दिन के बारे में बतायें जिस दिन आपने एक प्रकार का वाहन लेने का निर्णय किया था. क्या आपको पता हैं कि उस दिन से आप सड़क पर उसी तरह के वहां ज्यादा देखते हैं. अब आपको वो वाहन ज्यादा दिखाई देता हैं. जबकि वो पहले भी सड़क पर उतने ही थे, बस अब वो आपको ज्यादा दिखाई देते हैं . यही हैं आकर्षण का नियम. जो हम देखना चाहते हैं हम वही देखते हैं. हम उन्ही विचारों को आकर्षित करते हैं जो हमें अच्छे लगते हैं.  एक व्यक्ति होता हैं उसके साथ हमेशा गलत ही होता रहता हैं और एक व्यक्ति होता हैं जिसके साथ हमेशा अच्छा ही होता हैं चाहे दोनों कि परिस्थितियां एक ही क्यों न हों. ये सब उनके विचारों कि वजह से होता हैं . जिसके साथ हमेंशा बुरा होता हैं उसके मन मैं हमेशा नकारात्मक विचार ही होते हैं तो वह उसी प्रकार कि घटनाओं को आकर्षित करता हैं. और अच्छे होने वाले के मन में सकारात्मक विचार ही होते हैं , जो हमेशा सही घटनाओं को ही आकर्षित करता हैं.

इसलिए हमेशा अपने मन में सकारात्मक विचार ही लायें. 

तीसरा नियम हैं कि हम जिसका बीज बोते हैं उसका ही वृक्ष उत्पन्न होता हैं. अर्थात हम जैसे कर्म करेंगे हमें परिणाम वैसे ही मिलेंगे. ऐसा नहीं हो सकता कि हम कर्म बुरे करें और हमें परिणाम अच्छे मिले या फिर विपरीत.

तो हमें सदेव अच्छे कर्म ही करने चाहिए. 

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