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दो रंग की रौशनी का एलईडी चालक

आजकल  एलईडी, रोशनी का बहुत ही अच्छा माध्यम बन गया है।
जिसकी खास वजह है इसकी कम शक्ति लेकर ज्यादा रोशनी निकालना।  
आमतौर पर  यह तीन प्रकार की रोशनी हमें आती है, जिसे हम रंगों के तापमान से पहचानते हैं।
 जैसे हल्की लाल रोशनी जिसका तापमान होता है   2700 केल्विन,   इसके ऊपर आती है 4500 केल्विन  
और अंत में 6500 केल्विन।  एक रोशनी एक ही प्रकार की होती है, मतलब एक बल्ब में एक ही प्रकार की रोशनी
निकलती है ।  कितना अच्छा हो अगर एक ही रोशनी दो तरह के रंग की रोशनी निकल पाती। लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स
की खासियत ही है कि जो आप सोच सकते हो वह बना सकते हो।
तो आज हम ऐसे ही एक रोशनी बनाएंगे जो दो प्रकार के रंग देगी। एक बार बटन दबाने पर एक तरह की रोशनी
और दूसरी बार बटन दबाने पर दूसरी प्रकार की रोशनी।



परिपथ
नीचे इस रोशनी का परिपथ दिया हुआ है।


तर्क
यह परिपत्र  दो छोटे परिपथों से मिलकर बना है।   परिपथ का शुरुआती भाग स्केमिट ट्रिगर   है और
उसके बाद एक मल्टी वाइब्रेटर है। जब भी हम इसके स्रोत को बंद करके फिर खोलते हैं तो पहला भाग एक स्पंद  
अगले भाग को देता है।  अगला भाग स्पंद मिलते ही अपनी स्थिति के विपरीत हो जाता है यानी के जो रोशनी खुली थी
वह बंद हो जाती है और जो बंद है वह खुल जाती है।  बस यही कार्य हर बार होता है, जब भी हम इसके शक्ति स्रोत
की कुंजी को खोल बंद करते हैं।
यह परिपथ अपने कार्य के लिए शक्ति स्वयं ही लेता है, अर्थात इसे अलग से शक्ति प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है।
 5.1 बोल्ट  का जीनर इस कार्य को भली-भांति करता है।  दोनों मॉसफेट जहां पर एक कुंजी की तरह प्रयोग किए जा रहे हैं
और वह ही LED की श्रंखला को खोल या बंद करते हैं।
यह परिपथ आप किसी भी बल्ब,  ट्यूबलाइट  या अपने द्वारा निर्मित किसी भी रोशनी में लगा सकती हैं।
रोशनी के अलावा यदि हमें कहीं दो परिपथ को एक के बाद एक बंद खोल करना हो  तो हम इस परिपथ का प्रयोग
कर सकते हैं।
परिपथ की बाहर लेने की क्षमता दोनों  मॉसफेट ही निर्धारित करते हैं।  वर्तमान परिपथ को 12 वाट की रोशनी से
परीक्षण किया गया है।



लेखक
अनिरुद्ध शर्मा
अनि-प्रयोगशाला

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