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हम सब भारतीय है

इस जातिवाद से तो अपनी काया कोसों दूर थी
हमें ईद पसंद थी उन्हें दिवाली मंजूर थी
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अब तो ना ईद खुशी से मनती हे ना दिवाली उमंग से
मचा हे चारों तरफ कोहराम दंगों के हुडदंग से
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पहले इंसानियत मजहब हुआ करती थी
अब जानवर मजहब बताते हैं
जानवर ही क्या रंग भी बट गये
हरे मुसलमान तो लाल हिंदू कहलाने हैं
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ये बटवारा छोड़ एक धर्म अपनाते हैं
चलो हम सब भारतीय बन जाते हैं
- अनिरूद्ध शर्मा

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