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पहल

सपने देखना जीवन का एक अंग है और हर मनुष्य को सपने देखने चाहिए साथ ही साथ उन सपनों को पूरा करने के लिए उचित कदम भी बढ़ाना चाहिए।
परंतु होता ऐसा है की हम बस सपनें ही देखते रहते है और उन्हें पूरा करने को कोई कदम नहीं बढ़ाते जो की गलत है। सपने यदि हमने देखे हैं तो उन्हें पूरा भी हम ही करेंगे और उसके लिए हमें खुद ही पहला कदम बढ़ाना होगा
यही कोशिश की है निम्न पंक्तियों में दर्शाने की

वक्त ने मुझको बदल दिया पर मैं वक्त ना बदल पाया
सोचा खाब सितारों का पर घर से ना निकल पाया
-अनिरुद्ध शर्मा

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