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आज का अनुभव-कभी हार ना माने

आज जो मेरे साथ घटना घटित हुई वो बड़ी ही रोचक है। जैसे की आप सब जानते हैं की मेरा पेशा नए इलेक्ट्रॉनिक परिपथ बनाना है. खाली बनाने से कुछ नहीं होगा इसलिए में अपने द्वारा बनाये गए परिपथ की जाँच पूरी कर चूका था और अब उसको भारी मात्रा में बनाने की योजना थी। इसी योजना में आगे बढ़ते हुए हमने अपने परिपथ को बनाना शुरू किया। परंतु जब वह बनकर तैयार हो गया तो अब वह अपना निर्धारित कार्य नहीं कर रहा था या फिर यूँ कहिये की कुछ भी कार्य नहीं कर रहा था।
यह परिपथ एक एल ई डी रौशनी चालक का है।
मैंने अपने अभी बनाये हुए चालक को अपने जाँचे हुए चालक के साथ मिलान किया की कहीं कोई अव्यय तो गलत नहीं लगा है, पर में गलत था सभी अव्यय वही थे।
अब मैं सोच में पड़ गया की क्या हुआ इस चालक को बहुत सोचा पर कुछ भी समझ ना आया।
मैंने फिर कुछ और चालक बनाने को कहा की देखें तो कि यह परेशानी सब में है या सिर्फ इसी में थी।
पर ये क्या ये परेशानी तो सब में थी एक को छोड़ कर , वह एक चालक चल रहा था बाकी सभी चालक नहीं चल रहे थे।
मैंने उस चलते चालक को देखा और पाया की उसमे दो बिंदु जिनके मध्य एक प्रतिरोधक होना चाहिए था वे आपस में मिले हुए हैं यानि के उन दोनों बिंदुओं के मध्य प्रतिरोधक का मान शून्य था और यह गलती से हुआ था। पर यही गलती मेरे लिए उत्तर माला साबित हुई।
दरअसल वह प्रतिरोध चालक के अधिकतम बाहरी विभव को सीमित करती है।और जब इस प्रतिरोधक का मान शून्य हो गया तो चालक ने अधिकतम विभव बनाया और रौशनी जलने लगी।
लेकिन इस प्रतिरोधक का मान हम शून्य नहीं कर सकते ऐसा करने पर वह अनियंत्रित हो जायेगा और इसकी अधिकतम विभव की सीमा बहुत बढ़ जायेगी, जो की खतरनाक है.
अब सारी कमजोरी समझ आ गई थी और ठीक करने का रास्ता भी साफ़ नजर आ गया था।
मैंने तभी सूत्र द्वारा उस प्रतिरोधक का मान दुबारा ज्ञात किया और उस मान का प्ररिरोधक लगाया। अब उस चालक की अधिकतम विभव सीमित है।
जब मैंने पिछली बार इस परिपथ को जाँचा था तब प्रतिरोधक का मान अलग था। उस समय चालक सामान्य रूप से कार्य कर रहा था परंतु जब उसे भारी मात्रामें बनाया तो वह गड़बड़ करने लगा।
इसका कारण एक ही था, वह था उस चालक का नियंत्रक जो की जाँच के नमूने में अलग था और अब अलग। मैंने पहले ही चालक नियंत्रक विक्रेता से इस बात की पुष्टि कर ली थी की क्या ये दोनों नियंत्रक एक ही हैं और जवाब मिला था हाँ।
पर अब सब कुछ सामान है और चालक सही कार्य कर रहा है।
आज के इस अनुभव से मैंने एक ही बात सीखी की कभी हार ना माने। हर समस्या का समाधान है यदि हम उसे सुलझाने के इच्छुक हैं तो।

कभी हार ना माने

आज जो मेरे साथ घटना घटित हुई वो बड़ी ही रोचक है। जैसे की आप सब जानते हैं की मेरा पेशा नए इलेक्ट्रॉनिक परिपथ बनाना है. खाली बनाने से कुछ नहीं होगा इसलिए में अपने द्वारा बनाये गए परिपथ की जाँच पूरी कर चूका था और अब उसको भारी मात्रा में बनाने की योजना थी। इसी योजना में आगे बढ़ते हुए हमने अपने परिपथ को बनाना शुरू किया। परंतु जब वह बनकर तैयार हो गया तो अब वह अपना निर्धारित कार्य नहीं कर रहा था या फिर यूँ कहिये की कुछ भी कार्य नहीं कर रहा था।

यह परिपथ एक एल ई डी रौशनी चालक का है।

मैंने अपने अभी बनाये हुए चालक को अपने जाँचे हुए चालक के साथ मिलान किया की कहीं कोई अव्यय तो गलत नहीं लगा है, पर में गलत था सभी अव्यय वही थे।

अब मैं सोच में पड़ गया की क्या हुआ इस चालक को बहुत सोचा पर कुछ भी समझ ना आया।

मैंने फिर कुछ और चालक बनाने को कहा की देखें तो कि यह परेशानी सब में है या सिर्फ इसी में थी।

पर ये क्या ये परेशानी तो सब में थी एक को छोड़ कर , वह एक चालक चल रहा था बाकी सभी चालक नहीं चल रहे थे।

मैंने उस चलते चालक को देखा और पाया की उसमे दो बिंदु जिनके मध्य एक प्रतिरोधक होना चाहिए था वे आपस में मिले हुए हैं यानि के उन दोनों बिंदुओं के मध्य प्रतिरोधक का मान शून्य था और यह गलती से हुआ था। पर यही गलती मेरे लिए उत्तर माला साबित हुई।

दरअसल वह प्रतिरोध चालक के अधिकतम बाहरी विभव को सीमित करती है।और जब इस प्रतिरोधक का मान शून्य हो गया तो चालक ने अधिकतम विभव बनाया और रौशनी जलने लगी।

लेकिन इस प्रतिरोधक का मान हम शून्य नहीं कर सकते ऐसा करने पर वह अनियंत्रित हो जायेगा और इसकी अधिकतम विभव की सीमा बहुत बढ़ जायेगी, जो की खतरनाक है.

अब सारी कमजोरी समझ आ गई थी और ठीक करने का रास्ता भी साफ़ नजर आ गया था।

मैंने तभी सूत्र द्वारा उस प्रतिरोधक का मान दुबारा ज्ञात किया और उस मान का प्ररिरोधक लगाया। अब उस चालक की अधिकतम विभव सीमित है।

जब मैंने पिछली बार इस परिपथ को जाँचा था तब प्रतिरोधक का मान अलग था। उस समय चालक सामान्य रूप से कार्य कर रहा था परंतु जब उसे भारी मात्रामें बनाया तो वह गड़बड़ करने लगा।

इसका कारण एक ही था, वह था उस चालक का नियंत्रक जो की जाँच के नमूने में अलग था और अब अलग। मैंने पहले ही चालक नियंत्रक विक्रेता से इस बात की पुष्टि कर ली थी की क्या ये दोनों नियंत्रक एक ही हैं और जवाब मिला था हाँ।

पर अब सब कुछ सामान है और चालक सही कार्य कर रहा है।

आज के इस अनुभव से मैंने एक ही बात सीखी की कभी हार ना माने। हर समस्या का समाधान है यदि हम उसे सुलझाने के इच्छुक हैं तो।

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