समस्या का समाधान
किसी शहर में एक व्यक्ति था, वह हमेशा दु:खी रहा करता था, क्योंकि उसकी समस्याएँ कभी खत्म नहीं नहीं होती थी। इसीलिए धीरे-धीरे उसे ऐसा लगने लगा कि उससे दु:खी व्यक्ति संसार में कोई और नहीं है।
उसकी बातें तक कोई सुनना नहीं चाहता था क्योंकि हमेशा वो नकारात्मक बातें ही किया करता था। इस बात से तो वह और परेशान हो जाता कि उसकी बात कोई सुनने वाला नहीं है।
एक दिन उसे पता चला कि शहर में कोई महात्मा आने वाले है। जिनके पास सभी समस्याओं का समाधान है। यह जानकार वह महात्मा के पास पहुंचा। उस महात्मा के साथ हमेशा एक काफिला चला करता था जिसमें कई ऊंट भी थे ।
महात्मा के पास पहुँच कर उस व्यक्ति ने कहा – गुरुजी, सुना है कि आप सभी समस्याओं का समाधान करते है। मैं बहुत दु:खी व्यक्ति हूँ। मेरे इर्द-गिर्द हमेशा बहुत सारी समस्याएँ रहती है। एक को सुलझाता हूँ तो दूसरी पैदा हो जाती है । मैं अपनी आपबीती किसी को सुनता हूं तो कोई सुनता ही नहीं है। दुनिया बड़ी मतलबी हो गयी है। अब आप ही बताइये क्या करूँ ?
महात्मा ने उसकी बातें ध्यान से सुनी और कहा – भाई, मैं अभी तो बहुत थक गया हूँ परंतु कल सुबह मैं तुम्हारी समस्या का समाधान अवश्य करूंगा। इस बीच तुम मेरा एक काम कर दो, मेरे ऊंटों की देखभाल करने वाला आदमी बीमार है। आज रात तुम इनकी देखभाल कर दो ।
जब सभी ऊंट बैठ जाये तब तुम सो जाना। मैं तुमसे कल सुबह बात करूंगा । अगले दिन महात्मा ने उस आदमी को बुलाया। उसकी आंखे लाल थी। महात्मा ने पूछा – तो बताओ कल रात कैसी नींद आयी ?
व्यक्ति बोला – गुरुजी, मैं तो रात भर सोया ही नहीं। आपने कहा था जब सभी ऊंट बैठ जाये तब सो जाना। पर ऐसा नहीं हुआ जब भी कोशिश करके एक ऊंट को बिठाता दूसरा खड़ा हो जाता। सारे ऊंट बैठा ही नहीं इसीलिए मैं भर रात सो नहीं सका।
महात्मा जी ने मुस्कुराते हुए कहा – मैं जानता था कि इतने ऊंट एक साथ कभी नहीं बैठ सकता, फिर भी मैंने तुम्हें ऐसा करने को कहा।
यह सुनकर व्यक्ति क्रोधित होकर बोला – महात्मा जी, मैं आपसे हल मांगने आया था पर आपने भी मुझे परेशान कर दिया।
महात्मा बोले – नहीं भाई, दरअसल यह तुम्हारे समस्या का समाधान है। संसार के किसी भी व्यक्ति की समस्या इन ऊंटों की तरह ही है। एक खत्म होगी तो दूसरी खड़ी हो जाएगी । अतः सभी समस्याओं के खत्म होने का इंतज़ार करोगे तो कभी भी चैन से नहीं जी पाओगे।
समस्याएँ तो जीवन का ही अंग है। इसे महसूस करते हुए जीवन का आनंद लो। जीवन में सहज रहने का यही एक उपाय है। दुनिया के किसी भी व्यक्ति को तुम्हारी समस्याएँ सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं है क्यूंकी उनकी भी अपनी समस्याएँ है।
महात्मा जी आगे बोले जिम्मेदारियां और समस्याएं जीवन भर समाप्त नहीं होगी परंतु मुख्य बातें की हर समस्या को बोझ के रूप में लेना है या मौज के रूप में लेना है जब इंसान परिस्थितियों को स्वभाव संस्कार को स्वीकार नहीं कर पाता तो उसे समस्या दिखती है परंतु यह कोई समस्या नहीं बल्कि इससे एक खेल समझकर खेल खेलना चाहिए, अर्थार्थ स्वीकार करना चाहिए
महात्मा जी की बात सुनकर व्यक्ति के चेहरे पर संतोष और सहजता के भाव उमड़ पड़े। मानो उसे अपनी सभी समस्याओं से निपटने का अचूक मंत्र प्राप्त हो गया हो..!!
सार :-
जो परिस्थितियां मेरे नियंत्रण में नहीं होती हैं अगर उन्हें खुशी से स्वीकार नहीं किया तो दुखी होकर करना पड़ेगा करना तो पड़ेगा।
जाप और ध्यान के द्वारा परिस्थितियों को स्वीकार करने की ताकत आती है और वह व्यक्ति निरंतर अति इंद्रिय सुख में रहने के कारण सदैव प्रसन्न रहता है।
सबका मालिक एक है
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