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न्याय

जो व्यक्ति किसी दूसरे को हराने या गिराने के लिए छल कपटपूर्ण साज़िशें रचते हैं ..

और दूसरे की अच्छाई का फ़ायदा उठा कर अपने मक़सद में कामयाब भी हो जाते है ..

ऐसे लोगों यह भूल जाते हैं कि ईश्वर साक्षी है उनके कर्मों का..

और जब उसका न्याय चक्र चलता है ,तब ऐसे व्यक्तियों की ऐसी दुर्दशा होती है,जो उन्होंने सपने में भी नहीं सोची होती है …

इसी लिए श्री कृष्ण कहते है की “जैसा करोगे वैसा फल पाओगे …”

अच्छाई के बदले अच्छाई और बुराई के बदले बुराई ..

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