कर्म
भगवान् :- बोलो बच्चे तुम्हे क्या चाहिए?
शिष्य :- प्रभु मुझे सकून चाहिए
भगवान् :- मैं केवल मार्ग बता सकता हूँ, चलना तुम्हे स्वयं ही पड़ेगा।
सृष्टि कर्म के आधार से चल रही है। भाग्य, सुख और दुःख कर्म के आधार से ही बनते हैं।
दुआओं से भाग्य जमा होता है, सुख देने से सुख मिलता है,क्रोध करने से दुःख मिलता है।
युक्ति युक्त बोल और मौन रहने से सकून मिलता है।
अब भाग्य की कलम तुम्हारे हाथ में है जैसा लिखना चाहो वैसा लिख लो।
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