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जल्दबाजी

न जाने कैसी जल्दबाजी घुस आई है हर इंसान में
कोई रहना ही नहीं चाहता मेरे हिंदुस्तान में
हर तरफ जाम और गाड़ियों का शोर शराबा है
मानो घुसाना चाहते हों दो तलवार एक मियान में
कितना सिखा दूँ कितना समझा दूँ इन्हे
तमीज बिकती नहीं यहाँ बाजारों दुकान में
यूँ ही रेंगते रेंगते जीवन काट दिया इन्होंने
पर ख़ुशी कभी ना आई इनके आलीशान मकान में






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