दूसरों के दिल मे जो अच्छाई हे यही मेरे जीवन की कमाई हे क्यों भागू मैं पैसे के पीछे इससे कहाँ कब खुशी आई हे -अनिरुद्ध शर्मा
कोई टिप्पणी नहीं