माँ अनिरुद्ध शर्माजून 26, 2017 माँ को लब्जों में जो पिरोने बैठा मैं लेके कलम हाथ में कलम भी टूट के बोली माँ को बयां करना नहीं है मेरी ओकात में Read More
जल्दबाजी अनिरुद्ध शर्माजून 20, 2017 न जाने कैसी जल्दबाजी घुस आई है हर इंसान में कोई रहना ही नहीं चाहता मेरे हिंदुस्तान में हर तरफ जाम और गाड़ियों का शोर शराबा है मानो घुस...Read More